आज मंज़िल का तो पता नहीं
पर
ज़िंदगी का सफ़र सुहाना है ।

कुछ हासिल होगा या नहीं
पर
जीने का अंदाज निराला है ।

बिछड़ें तो , कब मिलेंगे पता नहीं
पर
तुम्हें मेरे आशियाने में आना है ।
आशा सारस्वत

Hindi Shayri by Asha Saraswat : 111721118

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