#ऐ नींद
ऐ नींद थोड़ा रूक जरा
इस चमकते चाँद से
थोड़ी चाँदनी हैचुरानी
इस चमकती नीली चुनर से
थोड़े जुगनू है चुराने
मैं भी तो
अपनी तन्हाई को
थोड़ा रोशन करके देखूँ
शायद मुझे मेरा
खोया अख्स मिल जायें
फिर चलते है लंबी सैर पर
तुम मैं और नया अफसाना

-Vaishnav

Hindi Poem by Vaishnav : 111720884

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