है कितना अकेला ये अकेलापन
है कितना वीरान ये अकेलापन
मैं हूं भले किसी महफिल में ,
मगर दिल में है फिर भी अकेलापन ।।

आते है जिंदगी में लोग बहुत
पसंद भी आते है लोग बहुत
चलने को तो है काफिले काफी
पर साथ रह जाता है अकेलापन ।।

है एक तलाश ये जिंदगी ,
है एक चिराग ये जिंदगी में ,
यहां चाहिए तो बस एक सच्चा दिल,
जो भर दे ये सारा अकेलापन ।

~ रोहित किशोर

Hindi Poem by Rohit Kishore : 111720720

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