ख्वाहिश हर दम तुझे पाने की ही रही
तड़प तुझे हद से ज़्यादा चाहने की रही
भुला बैठे खुद को भी तेरे इश्क़ में इस कदर कि,
अब ना जीने की चाहत रही ना मरने की हसरत रही

-नादान लेखिका

Hindi Shayri by नादान लेखिका : 111718880

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now