मिला कर ख़ाक में अरमाँ हमारे
वो पूछे है कोई अरमान है अब

सभी से सरसरी रिश्ता ही रक्खो
मुहब्बत में बड़ा नुक़्सान है अब

नहीं पहचानता अब कोई मुझ को
यही मेरी नई पहचान है अब

Hindi Romance by Chirag Vora : 111717445

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