जब चलेंगे
एक माह से दूसरे माह में,
एक ऋतु से दूसरी ऋतु में,
एक वर्ष से दूसरे वर्ष में,
एक स्थान से दूसरे स्थान को,
चिट्ठी की तरह
लिखे-पढ़े जाएंगे,
पृष्ठों जैसे खुल
लम्बी उम्र बनाएंगे ।
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* महेश रौतेला
०८.०६.२०१३

Hindi Poem by महेश रौतेला : 111717369

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