तुम मिलते तो हम फिर से लिखते, दिल मना करता ,लेकिन हम उसकी भी नही सुनते। तुम उधेड़ दोगे, हमारी ख्वाहिशों को भी, लेकिन हम तुम्हारी गलती समझकर उसे फिर से बूनते

-प्रवीण बसोतिया

Hindi Shayri by प्रवीण बसोतिया : 111716532

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