जज्बाती हो जाते हैं हम गेरों को अपने आँगन में देखकर, गैर क्या जानेंगे। दिलों की बातों को। चल देते हैं। मुह फेरकर ।

-प्रवीण बसोतिया

Hindi Shayri by प्रवीण बसोतिया : 111716528

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