थोड़ी देर तो चले थे साथ
मैंने मूँगफली माँगी
तुमने हाथ में रखी,
मैंने छील कर मुँह में डाला
चबा ही रहा था
कि हमारे राह के दो फाड़ हो गये।
मैं मन्दिर की ओर मुड़ा
और तुम सीधी सड़क पर निकल गयी,
प्यार जो मूँगफली में था,
वही मेरे हाथ में था।

Hindi Poem by महेश रौतेला : 111716371

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