बड़ा इत्मीनान चाहिए साहब इश्क में विखरने के लिए
कतरा कतरा शबनम सा महसूस करिए सूखने के लिए

रोता मन व दिल दोनों है एक लम्हे के गुजर जाने पर
यकीनन यही मंजर है इश्क की उम्र याद करने के लिए

दिल यू ही नहीं टूट जाता किसी दिलवाले दीवाने का
खुदा से भी छूट जाती है कुछ लकीरें लिखने के लिए

देखो आज ये रात चांद के संग अपने शबाब पर है
कल फिर यही चिराग़ होंगे तेरे साथ जलने के लिए

क्या कुछ बाकी है जो कुछ खो कर पाना चाहता हूं
केशव तो लिखता है बस किसी को भूलने के लिए

Hindi Shayri by Keshav Yamunapari : 111715672

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