#_बारिशों_के_दौर_में____SJT

बारिशों का दौर न था फिर भी एक तरफा बरसे ,
एक सदी से मिल न पाए उनसे इस तरहा तरसे ,
गांव के गलियारों में जब कभी जुगनू इक चमके ,
देखकर एक मुसाफ़िर लगा वो चलने जब घर से ,

कई दफा मुश्किलों ने घेरा फिर भी जीत आए ,
सावन में सुहावन लता-वन मिलकर गीत गाए ,
भंवर को कली से मिले एक अरसा गुज़र गया ,
गुज़ारिश है यही अब संग रहकर उम्र बीत जाए ,

कहानियों में ही अक्सर राजा रानी एक होते हैं ,
असल जिन्दगी में दुश्मन प्यार के अनेक होते हैं ,
बिखर जातें हैं शीशा कुछ ख़ुदगर्ज देखकर के ,
मुकम्मल होते हैं लोग इरादे जिनके नेक होते हैं ,

Hindi Poem by Poetry Of SJT : 111708776

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