अधूरापन भी अच्छा है
पूरे होने की आस तो है
पल पल घटते बढ़ते चांद को पूर्णिमा की प्यास तो है
जैसे रात अमावस की जैसे चांद अधूरा है
तुम वेदना बन उतर आओ हृदय में की अभी प्यार अधूरा है

-Arti Shukla

Hindi Poem by Arti Shukla : 111706629

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