इश्क है या नहीं, उनको मालूम है,
हाँ आखरी नज़्म है, उनको मालूम है।
वो कहें तो वफा, या जफा कह दें वो,
जिंदगी कर्ज है, उनको मालूम है।।
जानते हैं ये हम, रंग कच्चा ही था,
क्यों मिटाते नहीं, उनको मालूम है।।
सोचते थे कभी, हम न कह पायेंगे,
बिन कहे ही उन्हें, हमने सब कह दिया।
जानते थे की वो भी न बोलेंगें कुछ,
उनकी बस एक अदा ने, बयाँ कर दिया।।
हम बताते नहीं, और जताते नहीं,
वो जानते है हमें, हमको मालूम है।।
इश्क है या नहीं, उनको मालूम है।।
दरिया थे हम कभी, कब समंदर बने,
इस मुहब्बत में क्या जानें, कब क्या बनें।
लूटते थे कभी, लूट के बैठें हैं अब,
जान ओ जाने जाना, कहो क्या बने।
इश्क है या नहीं, उनको मालूम है,
हाँ आखिरी नज़्म है, उनको मालूम है।।