My Heartily Poem...!!!

उलटी पड़ी है हर साहिलों पर
अनगिनत कश्तियाँ आज

दिलों से समंदर पर निकाल
कर ले गया है कोई

जिस्म तो मिट्टी के आज भी है
आदम के हर पुतले के

“रुँह”पर जिस्मों से निकाल
कर ले गया है कोई

भीड़ तो अब सिफँ आदमियों
की ही बची है आज

अज़मत तक इन्सानियत की
निकाल ले गया कोई

ज़िरासीमों(कोरोनावायरस)की
बनी हैं अजीब दास्तान

ख़ौफ़ज़दा पत्थर दिलों से रहम
तक निकाल ले गया कोई

अपनों के जनाज़ों को अपने कँधे
तक भी नसीब नहीं आज

चंद दिनों में ही बेबस जिस्मों से
जान निकाल ले गया कोई

फेफड़ों से खेल घिनौना खेल
लाशें छोड़ गया कोई

साँसों की लड़ी कब कहाँ कैसे
तोड़ मरोड़ छोड़ गया कोई

अब बंध करो खेल घिनौना प्रभु
दया करो चाहता हर कोई

✍️👎👎👎🙏🙏🙏👎👎👎✍️

Hindi Motivational by Rooh   The Spiritual Power : 111705121

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