मां ! तुम बड़ी याद आती हो।
जिस हाथ से चाटा मारती हो,
उसी हाथ से सेहलाती भी हो।
जिस हाथ से रोटी खिलाती हो,
उसी हाथ से संभाल लेती हो।
जिन शब्दों में मुझे डांटती हो,
उसी शब्दों में दिलासा भी देती हो।
जिन होंठो पे सदा मुस्कान रखती हो,
उन्हीं होंठो से माथा भी चूम लेती हो।
जिस हृदय की कठोरता से सजा देती हो,
उसी हृदय में मुझे बिठा कर रखती हो।
मां ! तुम बड़ी याद आती हो।
- आचार्य जिज्ञासु चौहान
#लालीमां