"न नर्क का भय है न स्वर्ग की इच्छा , तेरा साथ ही है मेरी सुदीक्षा है , है जीवन मेरा अब तेरी प्रतीक्षा न दूजा कोई अब किसी की न इच्छा , माना असीमित अकड़ ले के फिरता जो बोले तू उसके विपरीत करता , अंश तेरी हूँ तू इतना समझ ले , मिला मुझको मिट्टी या बाँहो मे भर ले , जीवन का पन्ना फाड़ा है मैने मगर न अलग कुछ साँसे जुड़ी हैं , है कर्ज मुझपर जो फर्ज सा है , बनी शूल पीड़ा यही मर्ज सा है | "
अंश से ...

-Ruchi Dixit

Hindi Poem by Ruchi Dixit : 111704948
Ruchi Dixit 3 years ago

Jai Shree Krishna 🙏

vijay kasundra 3 years ago

Jay shri krishna radhe radhe

Ruchi Dixit 3 years ago

जी बहुत बहुत धन्यवाद 🙏

Ruchi Dixit 3 years ago

जी बहुत बहुत धन्यवाद 🙏आभार |

Captain Dharnidhar 3 years ago

सुन्दर प्रस्तुति के लिए अभिनंदन

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