सब ठीक ठाक
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कोरोना का हाल क्या,
जनता बेहाल क्या,
अपनी जेब भरी रहे,
सब ठीक ठाक है।

अस्पताल खस्ताहाल क्या,
नर्सिंगहोम माला माल क्या,
दवा स्टाक गुप्त रहे,
सब ठीक ठाक है।

रेमडीसीविर हजार का,
मांगे दाम लाख का,
आक्सीजन बाजार गायब,
सिलिंडर गोलमाल क्या,
सब ठीक ठाक है।

पहली लहर माइल्ड क्या,
दूसरी लहर माडरेट क्या,
तीसरी लहर सीभीयर क्या,
बिना मास्क टहलेंगे,
सब ठीक ठाक है।

फ्रांट लाइन फाइटर क्या,
पुलिस और प्रशासन क्या,
रात दिन समझा रहे,
बिमारी छिपा के कहे,
सब ठीक ठाक है।

पक्ष विपक्ष उलझे तो क्या,
सियासत कुछ समझे क्या,
वैक्सीन पर हल्ला क्या,
कतारबद्ध मिल के खड़ा,
सब ठीक ठाक है।

Hindi Poem by Mukteshwar Prasad Singh : 111704570

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