सफर... बड़ा ही प्यारा शब्द है। हर कोई अपनी जिंदगी में सफर जरूर करता है, लेकिन यह बात उस सफर की है जो हम सब ने कभी न कभी तय किया है या फिर जिन्होंने नही किया है वे आनेवाले वक़्त में ज़रूर तय करेंगे।

बात है एक ऐसे सफर की जो हमें प्यार की अनुभूति करवाता है, हमको ऐसे इंसान से मिलाता है जिनको हम अपनी जान से भी ज़्यादा चाहते है। बात है ऐसे सफर की जो हमें जिंदगी में प्यार, दोस्ती के मायने समझाता है। बात है एक सफर की जो हमें दुनिया के उन खोखले, बेबुनियाद, दकियानूसी, घटिया विचारो से रूबरू करवाता है। बात है उस सफर की जो हमें सिखाता है कि दुनिया मे इन्सान की भावनाओ से भी ज़्यादा पैसा, धन, दौलत, इज़्ज़त, शोहरत, रुतबा ही सबसे बढकर है।

यह एक ऐसे सफर की शुरुआत है जिसे हमने कभी जिया है। दुनिया की अर्जित सारी पूंजी को खर्चकर भी जो फिर वे नही जिया जा सकता।

तो अपने उस बीते हुवे सुनहरे कल को फिरसे जी उठने के लिये आप सबको मैं आमंत्रित करता हूँ।

पढिये, "सफ़रनामा: यादों का एक सुनहरा दौर" इस मंगलवार को सिर्फ और सिर्फ मातृभारती पर, बिल्कुल निःशुल्क।

Hindi Story by Hussain Chauhan : 111703664

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