मां

मुझे जिसने रचा उस पर लिखना , अपनी इतनी औकात नहीं
अर्पित करते श्रद्धांजलि हम , और बची कोई बात नहीं
कुछ शेष नहीं जब करूं याद , अपने मन में तुमको ऐ मां
मेरी याद का आदि और अंत तुम्हीं , तुमने ही रचा मेरा संसार ऐ मां
दुनिया की नज़र में बड़ा हूं मैं , पर तेरे लिए बच्चा ही था
जो प्यार लुटाया तुमने सदा , वो सब का सब सच्चा ही था
तुम याद सदा ही आती हो , कब भूला वो पल याद नहीं
जी भर के रो सकता भी नहीं , ये दर्द अभी तक गया नहीं
अपने बच्चों सा दुलार करे , वो नजर नहीं दिखती अब मां
वो कान पकड़ प्यारी झिड़की , अब भी याद आती है मां
दुनिया से दर्द छुपा अपना , गिला न कोई तुमने किया
दुआ , स्नेह और प्यार दिया , मेरी सारी बालाएं तुमने लिया
मुझे कोई भी जब दर्द हुआ , मुझसे ज्यादा थी तुम रोई
ऐसी ही तो मां होती है , मां का दर्द न समझे है कोई
दुनिया की आपाधापी में , ये देखके मन अकुलाता है
राह तके घर में माता , लोग भगवान के दर क्यों जाता है
अपना अनुभव कहता है ये , जीवन को सफल यदि करना है
मां की आंखें न गीली हों , पुण्य का घड़ा यदि भरना है
कुछ कही अनकही बातें थी , तो सोचा मां से बात करूं
दुनिया में नहीं हो तो क्या ग़म , दिल में तो सदा रहती हो मां

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Hindi Poem by सुधाकर मिश्र ” सरस ” : 111703644
सुधाकर मिश्र ” सरस ” 3 years ago

धन्यवाद शेखर जी।

shekhar kharadi Idriya 3 years ago

अत्यंत हृदय स्पर्शी भावनाएं...

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