बहुत तन्हा कर देता है शहर का शोर अक्सर ,
उजाला जगनुओं से मैं उधार लेकर आया हूं ,
मौत की हवा कुछ इस तरह से चली है यहां ,
नफरतों के दौर में सिर्फ प्यार लेकर आया हूं

शिकायतों को भी मौका मिलेगा शिकायत का ,
सुख दुःख का अपना व्यापार लेकर आया हूं ,
काटें भरी राहों में चलता रहता सिर्फ कहने से ,
गुलशन से फूल एक असरदार लेकर आया हूं ,

चालाकियों के कई चहरे से वाकिफ हूं तब से ,
जब से विश्वास का इक आधार लेकर आया हूं ,
बहुत ही आसान हो गया है अपनों को जानना ,
ख़ुद का वैसा ही इक किरदार लेकर आया हूं ,

अलग हो गया चांद चांदनी से सुबह होने पर ,
इस लिए तो दोस्त मैं वफादार लेकर आया हूं ,
खैर हटाओ अब सब बकवास बातों को मेरी ,
मैं जन्म दिवस का समाचार लेकर आया हूं ,

Hindi Poem by Poetry Of SJT : 111703298

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