खुली किताब का पन्ना हो तुम
जिसका एक एक अक्षर ये गवाही देता है
की जो तुम हो कोई और नहीं हो सकता है
जन्म जन्म भर अलग भी रहकर
साथ निभाने आऊंगा
कोई मामूली बात नही
ये वादा है ये पक्का है ।।

-Anand Tripathi

Hindi Shayri by Anand Tripathi : 111701418

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