आया कैसा कठिन ये दौर है
हर ओर दहशत का माहौल है
सांसों को मुनाफाखोरों ने खरीद लिया।
असमय कितनी ही जिंदगियों को
उनके लालच ने हाय! लील लिया।
खोदते हैं जो दूसरों के लिए गड्ढा
वो खुद ठोकर खा उसमें गिर जाएंगे।
तमाशा देख रहे हैं जो दूसरों की मौत का
एक दिन चंद सांसों के लिए वो भी गिड़गिड़ाएंगे।
माना दुख की रात है कुछ गहरी और लंबी
पर हमारे हौंसले और विश्वास के आगे
वो जल्द ही समेट अपनी कालिमा ढल जाएगी।
विश्वास की किरणों संग, हरने दुख संताप
करने जीवन में फिर से खुशियों का संचार
वो सुबह जरूर आएगी, वो सुबह जरूर आएगी।
-Saroj Prajapati