अजब सी कशमकश है जाने न
लगता नही दिल कहीं ये माने न

यादे हैं घुमड़ती जो बड़ा सताती
शबीह तेरे सिवा कोई पहचाने न

अजीब दास्तां बना इश्क़ हमारा
हालाते- रंज किसी को सुनाने न

सुलगते अंगारे सीने में दहकने दो
दर्द सही पर कोई आये बुझाने न

सम्भाल के रखा है मोहब्बत तक
दिया तोहफा तेरा कभी भुलाने न

कुछ खट्टी कुछ मीठी बातों के ख़त
पास में हमारे अमानत हैं जलाने न

दूर हुए हम दोनों कसूर था जो तेरा
ख़ामोश हुए लब जो अब बताने न

-ALOK SHARMA

Hindi Shayri by ALOK SHARMA : 111699271

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