मन के हारे हार है मन के जीते जीत ' इस कथन में कितनी सच्चाई है ?
बिल्कुल असत्य है। मेरे दृष्टिकोण में उल्टा है। मेरी नजर में उल्टा है। मन के हारने से जीत होगी तथा मन के जीतने से हार होगी। मन से तुम संघर्ष कर रहे हो। सबसे बड़ा दुनिया मे यही संघर्ष है। मन से लड़ाई लड़ रहे हो। ऊपर से तुम ऐसी बात कह रहे हो कि मन के हारे हार है। मन के जीते जीत।ये बात तो कैसे जमेगी? जब तुम मन से संघर्ष कर रहे हो तो निश्चित ही तुम मन से अलग हो। यदि तुम स्वयं मन होते तो संघर्ष ही नही होता। इतनी बाते ही नही होती। लेकिन संघर्ष है। यानी तुम मन से अलग हो। मन से संघर्ष कर रहे हो। और जब मन से संघर्ष है तो मन के हारने से तुम जीत जाओगे। मन जीत गया तो तुम हार जाओगे। आखिर संघर्ष में एक जीतेगा और एक हारेगा। इसलिए मन हारेगा तो तुम जीतोगे। मन जीतेगा तो तुम हारोगे।
इसलिए इस वाक्य को बदलकर ऐसा कहो-
मन के हारे जीत है, मन के जीते हार।
और जो तुम कहना चाह रहे थे वो कुछ इस प्रकार कहो-
बुद्धि के हारे हार है, बुद्धि के जीते जीत।😉
#copy_ &_credit Ashutosh Dadhich