क्या कभी तुम जान पाए जीत क्या है हार क्या है
इस जरा—सी जिंदगी में जिंदगी का सार क्या है
मिल गये जीवन डगर पर मनचले अनजान साथी
दे दिया अंतर उन्हीं को बन गये वे पूज्य पाथी
प्रीति कर ली पर न जाना प्रीति का आधार क्या है
क्या कभी तुम जान पाए जीत क्या है हार क्या है
भूल निज मंजिल गये तुम पग उन्हीं के संग बढ़ाए
और उनकी अर्चना में रात—दिन तूने लगाए
स्नेह की सौगात सारी उन सभी ने लूट खायी
प्यार का देकर भुलावा राह भी तेरी भुलायी
स्वप्न तक में यह न सोचा शांति का आगार क्या है
क्या कभी तुम जान पाए जीत क्या है हार क्या है