मे और मेरे अह्सास

दिल की महफिल में दिल बहलाने आये हैं l
नज़रों से जाम पीकर झूम जाने आये हैं ll

अब तेरी तस्वीर से दिल ना बहलेगा l
तुझे जी भर के देखने दिवाने आये हैं ll

कशिश इस तरफ बढ़ रही है दीदार की l
प्यास जन्मोजन्म की आज बुझाने आये हैं ll

दर्शिता

Hindi Poem by Darshita Babubhai Shah : 111689667

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