*प्रेम के बिना जीवन उस वृक्ष की भांति है,जो फूल तथा फलों से रहित है*
*सुबह की "चाय" और बड़ों की "राय" समय-समय पर लेते रहना चाहिए। पानी के बिना, नदी बेकार है अतिथि के बिना, आँगन बेकार है। प्रेम न हो तो, सगे-सम्बन्धी बेकार है। पैसा न हो तो, पाकेट बेकार है। और जीवन में गुरु न हो तो जीवन बेकार है इसलिए जीवन में "गुरु"जरुरी है "गुरुर" नही"।*
*उनके लिये सवेरे नही होते, जो जिन्दगी मे कुछ भी पाने की उम्मीद छोड चुके है, उजाला तो उनका होता है, जो बार बार हारने के बाद कुछ पाने की उम्मीद रखे है।*
🙏 जय सियाराम जी 🙏