सुकून की तलाश में भटकता रहा सारी उम्र ,
बन गया मुसाफिर अजनबी गलियों का मैं ,
इक अधूरी ख्वाहिश की ख्वाहिश लिए यहां ,
हूं बंजारा लगता है जैसे कई सदियों का मैं ,

Hindi Shayri by Poetry Of SJT : 111689516

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