बस दिल ही जानता है जो दिल में चलता है ,
आज ग़म है कल खुशी वक्त यूं ही बदलता है ,
फ़िराक ए वफ़ा में दरबदर हुआ ज़माने में तो ,
इसी टीस में एक उम्र से दिल रोज़ जलता है ,
सबने रिश्तों के रंग दिखाए माना चलता है ,
अंदर ही अंदर इंसान के ज़हर भी तो पलता है ,
बोल के अगर तौल दे बातों को फिर तराज़ू पर ,
तभी सारी समस्याओं का हल भी निकलता है ,