ऐसे तो पुरुष रोते नहीं है इश्क में

बाकी रोते तो बहुत है

मगर अपना दर्द किसी को कहेंते नहीं है ।।

( ऐ मेरी सोच है किसी को भी अपने उपर

लेने की जरूरत नहीं है )

नरेन्द्र परमार " तन्हा "

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