कहते है ज़िन्दग़ी मे कभी कभी दूरियों से भी प्यार बढ़ता है
तो बस हम भी हमारा बस्ता उठाए सूरत से दूरी बनाए
कहीं दूर जा रहे है...
बहुत से अजनबी चहरे देखने चंद को जानने
कुछ नई बात सुनके,
एक नई कहानी लिखने
कहानी के
अनजाने किरदारों से मिलने
एक किसी नई सी जगह पे
उपर् से रेल का सफर और
खिडकी वाली बर्थ
ट्रेन समय से पहले है।
मार्च कि तेज़ धूप मे सड़को के भी पाँव जल रहे हो वैसे मेरे साथ भाग रही है ,पूरी दुनिया को खिडकी भर कि नज़र से नाप रही हूँ,
लॉगो कपडे और बात करने के ढंग से जांच रही हूँ मुझे भी शायद इसी हिसाब से मैडम का दर्जा मिल रहा है
मे फिर से घूम रही हूँ...
Yayawargi