My Wonderful Poem...!!!
मनवा
बेपरवाह धड़क धड़क
सीने बीच ख़ूब तड़पत है आज
भाँग
मन भरन पी ली है आज
रंगों को रगो में बहने दो आज
आज
इतना जहर पिया पिला दो
कि सांस तक भी रुक जाए हमरी
सुना है
कि ग़र सांस रुक जाए तो
रूठे हुए पिया भी देखन आवत हैं
बैरन
मूवाँ बरसों का हो या चाहे
हो जन्मों का सब भूल जावत है
शय्या
यहीं एक एसी सजत है
कि रघुकुल याद आ जावत है
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