जब भी वक्त मिले तो चले आया करिए ,
सुना है वक्त हर वक्त नहीं आया करता ,
मिले जो मोहलत ताल्लुक़ात रखने की ,
ऐसे मौके हरगिज़ मैं नहीं गवाया करता ,

देता हूं आवाज़ की मुझे आवाज़ दो कभी,
लेकर तेरा नाम कभी नहीं बुलाया करता ,
पल भर में बात अख़बार हो जाती है यहां ,
चिंगारी को हवा देकर नहीं सुलगाया करता,

तेरे शहर में ख़ुद को मैं मुसाफिर बनाया हूं ,
तेरे घर वाली गलियों से नहीं जाया करता ,
चर्चे तमाम हैं हमारे नजदीकियों के यहां ,
बात ऐसी है किसी को नहीं बताया करता ,

तुम्हें ऐतराज है इश्क -ए मोहब्बत से बहुत ,
बस इसी लिए इश्क को नहीं जताया करता ,
मलाल रहता है मुझे तेरे इसी बेरुखीपन से ,
नज़रों को अपनी तुझसे नहीं हटाया करता ,

Hindi Poem by Poetry Of SJT : 111682960

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