कुछ नही बस । बस वहासे बातें बतानेकी सुरुआत हे ॥
कुछ नही बस । वहासे ज़िंदगी का रास्ता मोड़ लेता हे ॥
कुछ नही बस । वहा ही ज़िंदगी की सुरुआत ओर ख़त्म ॥
कुछ नही बस । वही हे जो दिलो में घाव भर जाते हे ॥
कुछ नही बस । वही हे जो घाव पे मरहम भी दे जाता हे ॥

Hindi Shayri by Saurabh Sangani : 111680248

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now