लहरों की वजह से

उत काल  की नदी बह रही है
और उसमें दो  दिऐ जल रही हैं,
वो मिलकर कुछ देर बहे
और अलग अलग हो गए

और अलग जब हुए
अपने मर्जी से नहीं हुए

उनके बीच लहरों की
आगमन से दूरी बढ़ी
और लहरों ने उन्हें पटक दिया
अटूट प्रकाश को बिखराव में बदल दिया

जो जल रहे थे एक होकर
हो रही थी दूर तक प्रकाश जल  पर

जब भी आते एक- दूसरे के किनारे
तभी लहरों की होती उजियारे

कभी नदियों की तूफानी
तो कभी बारिशों के पानी
नहीं चाहते हुए भी
बुझ गए
और एक दूसरे से अलग हो गए

-Maya

Hindi Poem by Maya : 111676759

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