स्त्री और स्त्रीत्व.....
की तो बस इतनी-सी कहानी है,
सर्वस्व न्यौछावर कर के भी.....
न कर पाती वो कभी मनमानी है,
उसका सम्मान हमेशा
कितबों
तक ही सीमित रहता...
जब उसके अस्तित्व पर
सवाल उठे.....
तो सभी को अपने जुँबा
पे ताला लगानी है।।।✍️❤️❤️

-Soni Kumari

Hindi Shayri by Soni Kumari : 111672982
Mehul 3 years ago

बहोत अच्छा लिखा है आपने

shekhar kharadi Idriya 3 years ago

यथार्थ प्रस्तुति तथा महिला दिवस की हार्दिक शुभेच्छा 💐🙏

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