देखते ही देखते बच्चे बड़े हो गए,
वो जब प्रथम बार गोद में आए थे,
तब मात्र दोनों हथेलियों में समाए थे,
जब उन्हें हृदय से लगाया था,
ममता का सागर लहराया था,
कांधे से लगाकर सुलाते थे,
थपकते हुए लोरी सुनाते थे,
मासूम किलकारियों पर निहाल होते,
उनके संग ही जगते-सोते,
फिर घुटनों चलना,खड़े होना,
गिरना,सम्हलना,सरपट दौड़ना,
उंगली छुड़ाकर भाग जाना,
खाना कम,बिखेरना ज्यादा,
अक्सर शरारतों पर आमादा,
उनकी परवरिश हम करते रहे,
गुजरते वक़्त के साथ बढ़ते रहे,
वे कद में हमसे ऊंचे हो गए,
समझदार,सयाने,युवा हो गए,
वे हमें नवीन बातें सिखाते हैं,
आज की टेक्नोलॉजी बताते हैं,
हम पुराने हैं, ये भी जताते हैं,
अब वे अपने पैरों पर खड़े हो गए,
देखते ही देखते बच्चे बड़े हो गए।

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Hindi Poem by Rama Sharma Manavi : 111671016

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