शीर्षक- युवा शक्ति

अतुल्य राष्ट्र के नव निर्माता,
हर युग में तू ही बना भाग्य विधाता,
पराकाष्ठा तू वीरत्व की,
अदम्य साहस की मूरत भी,
छू ले गगन ए वीर,
सबल प्रबल चल बहता सदा,
जैसे बहता नीर।

अपार शक्ति का पूंज है तू,
कर्मठता, सृजनात्मकता की अद्भूत गूंज है तू।
निज देश में पल कर अनंत सुखों से आच्छादित हो,
विदेश पलायन करना, मातृभूमि के चरणों में चूभता शूल है।
पर तू तो भारत मां के मस्तक पर सज़ा सबसे मनोहर फूल है।
तू पिंजरे का पंछी नहीं,
उन्मुक्त गगन में विचरण करना है।
"कलाम" के आदर्शों पर चल राष्ट्र पर अपना सर्वस्व न्यौछावर करना है।।

अंतर्मन में क्रांति,अधरो पर मुस्कान,
हिमालय सम अडिग तू,
राष्ट्र को दे नयी पहचान।
राष्ट्र को जरूरत अब,
एक और "आर्यभट्ट" व "प्रताप" की।
अपने परम पुरुषार्थ से इस देश का कर अब उत्थान तू।
बन जितेन्द्रिय,तू जग जीतेगा,
तेरे जयघोष का डंका सर्वत्र बाजेगा।
फिर होगा भारत का भी चहुं ओर वंदन,
राष्ट्र के प्रति तेरे समर्पण का भी होगा अभिनंदन।।

मौलिक एवं स्वरचित
मानसी शर्मा

Hindi Poem by Mansi Sharma : 111669763

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