दोस्त मयखाना खाली क्यों लगता है आज,
आदमी बहुत है पर, प्याले की नही आवाज।

नशा वैसे तो सिर्फ शराब का नही होता है,
मुजे नशा तेरी चाहत का है, नही बताना राज।

बेशक यह जगह बदनाम है दुनिया के लिए,
पैर रखता हूं इस दर पर ही जाता हूं सरताज।

दुनियावालो मुजे नशेड़ी की निगाह से न देखो,
उसके होठो का नशा ढूंढता हु हर जगह आज।

दो बूंद ही पीली तो लगा स्वर्ग धरती पर आया,
नाम खुदा का लेकर पी है, न रखा मेने लिहाज।

मनोज ने जो पी है वो में शब्दों से पिलाता हु,
किसी को मत बताना यह है महोब्बत का राज।

मनोज संतोकि मानस

-Manoj Santoki Manas

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