मुझे सतानें में तु कान्हा सा,
तेरी भोलेपन पे वारी जाऊं मैं राधा सी...

तेरी बातें मीठी मिश्री की तरह,
खूद को रोक नहीं पातीं तुझमें घूलनें से...

तु लूटाता है हर कोई पे चाहत,
उस चाहत की ठहरी मैं दिवानी सी...

राधाकृष्ण बिन रास आधा सा,
तेरे बिन कहानी मेरी आधी सी...

तुं बंसी की धूनसा ठहरा,
मैं खींची चली आऊं तेरी दिवानी सी...

आधा सा लफ्ज़ है प्यार का,
वैसे रहेगी चाहत मेरी आधी सी...

-Vaishali Rathod

Hindi Poem by Vaishali Rathod : 111668245

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