क्या रूतबा क्या वजूद.?
दिल की बीमारी,घर की चिंता,
बच्चे की परवरिश,नोकरी का वजूद.!
औरो से कहे तो क्या कहे..?
अपनी बात,अपना वजुद,
काम उसका,निगरानी उसकी,
सालो से हमारी ईमानदारी,सालो की हमारी नौकरी,
"फिर भी"
दुसरो की काना सुनी से,बदल जाते लोग,
खुद के नियम की ना कोई पैरवी,
हमारे हक पर कागज़ की ऐंट्री,
खुद की शिकायतों पे ना करे कोई जोर,
उसकी तानाशाही, उसके बोल,
"स्वयमभु" की शिकायत पे ना कोई गौर,
काम का दिखावा,चापलुसी का डोर,
किसी की बातो पे,मुकर जाते लोग,
यही है।इंसानी तेवर, यहि है।इंसानी लोग,
क्या रूतबा क्या वजुद?
बच्चे की परवरिश,और नौकरी का वजुद,

अश्विन राठौड़
"स्वयमभु"

Gujarati Poem by અશ્વિન રાઠોડ - સ્વયમભુ : 111668052

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now