दिखी थी तरुणाई तुमको
काँटे पाँव के नहीं दिखे,
दिखा था आँखों का आँचल
दुख का सपना नहीं दिखा।

दिखा था यौवन तुमको
संघर्ष उसका नहीं दिखा,
दिखी थी ऊँचाई सुन्दर
गिरता पसीना नहीं दिखा।

दिखे थे प्यार के लम्हे
उसके रोड़े नहीं दिखे,
दिखे थे मंजिल पर यात्री
उनकी यात्रा नहीं दिखी।

***महेश रौतेला

Hindi Poem by महेश रौतेला : 111667909
shekhar kharadi Idriya 3 years ago

बहुत बढ़िया

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now