तेरे इश्क में या खुदा ये सूरज
रात में भी जलता है।
अन्धेरा न हो जाये तेरी कायनात पर
इसलिये खुद को जला कर रौशनी करता है।
थोड़ा औरों के लिये भी जियो
शायद ये हम से कहता है।
भोर में रंग भर देता है फूलों में
परिंदों के गीत सुनकर
जलते हुए भी खुश रहता है।
अपनी किरणों से देता है
धरती की हर शै को रवानगी
हर जीव जन्तु जर्रे जर्रे में
खुदा का नूर भरता है।

जमीला खातून

Hindi Poem by Jamila Khatun : 111666667
Jamila Khatun 3 years ago

जी बहुत बहुत धन्यवाद

Jamila Khatun 3 years ago

जी बहुत बहुत धन्यवाद

shekhar kharadi Idriya 3 years ago

बहुत खूब...

JIRARA 3 years ago

Exraordinaire.

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