तेरे इश्क में या खुदा ये सूरज
रात में भी जलता है।
अन्धेरा न हो जाये तेरी कायनात पर
इसलिये खुद को जला कर रौशनी करता है।
थोड़ा औरों के लिये भी जियो
शायद ये हम से कहता है।
भोर में रंग भर देता है फूलों में
परिंदों के गीत सुनकर
जलते हुए भी खुश रहता है।
अपनी किरणों से देता है
धरती की हर शै को रवानगी
हर जीव जन्तु जर्रे जर्रे में
खुदा का नूर भरता है।
जमीला खातून