तुझे चाहकर भी हम चाह नहीं पाते हैं,
इस इश्क़ निक्कमे इश्क़ में हम कुछ कर न पाते हैं,
सोचते हैं बात करें तुमसे,
लेकिन क्या करें, सोच बहुत ज्यादा लेते हैं, और बात हम कर न पाते हैं

-प्रवीण बसोतिया

Hindi Poem by प्रवीण बसोतिया : 111665852

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