जब अस्तित्व ही नहीं था मेरा कहीं, तब तुम ही थीं जिसे पूरा विश्वास था,,,,
मुझे इस दुनिया में लाने को,
दिल में तुम्हारे एक खास अहसास था,,,
जब जब मैं अधीर हो हाथ पैर चलाती, कष्ट तुम्हें देती थी,,,
तुम प्यार से सहलाकर उदर, शान्त मुझे कर देती थी,,,
भूख ना होने पर भी कभी मना नहीं कर पाती थीं,,
मैं स्वस्थ रहूँ हर पल,,
सोचकर यही मन से चुपचाप हर दर्द सहती जाती थीं,,
संसार की भंवरों से जो पार लगाए, वो नाव हो तुम,,
दुखों की कड़कती धूप से बचाकर रखने वाली सुख की छांव हो तुम!!!
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-Khushboo bhardwaj "ranu"

Hindi Thank You by Khushboo Bhardwaj RANU : 111665062

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