जिंदगी के पौधे को हम प्यार, फर्ज, रिश्ते और उम्मीदों से सींचते हैं तो वह पौधा धीरे-धीरे बड़ा होता जाता है और इस पर खुशियों के न जाने कितने पंछी आकर बैठते हैं लेकिन एक दिन ऐसा आता है जब खुशियों के वो सारे पंछी न जाने क्यों उस पेड़ से उड़ जाते हैं और वापिस नहीं लौटते ।
-Sarvesh Saxena