मैंने खड़ा किया था प्यार
झूले में झुलाया था प्यार,
पीठ में लादा था प्यार
कन्धों में रखा था प्यार।
मैंने हाथों से छुआ था प्यार
आँखों से देखा था प्यार,
नटखट होने दिया था प्यार
शब्दों में सुना था प्यार।
मैंने रोटी में जमाया था प्यार
पैरों से कुरेदा था प्यार,
हर उम्र का देखा था प्यार
जागते-सोते सुना था प्यार।
** महेश रौतेला