#त्याग की मूरत
नारी हर रूप में त्याग की मूरत है
चाहे वह माँ हो , बेटी हो,
बहन हो या फिर एक पत्नी
नारी हर रूप में सुंदर लगती है
ऐसा ही एक सुंदर रुप है बेटी
कहते है बेटी के जन्म से
परिवार के भाग्य का उदय होता है
कभी वह माता की लाडो बनती है
तो पिता की परी
भाई को उसके प्यार के बंधन से बाँधकर
उसके दुख को भी हर लेतीहै
यह बेटी ही है
जो अपने घर को त्याग कर
दूसरे के घर को अपनाती है
परिवार की खुशियों के लिए
अपने तन - मन का समर्पण करती है
और परिवार को उन्नत करती है
बेटी एक नही दो घर के
भाग्य का उदय करती है
इसलिए बेटी एक नही
दो घर की इज्जत कहलाती है

-Vaishnav

Hindi Poem by Vaishnav : 111663502

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