जब पीली सरसों खेतों में खिलती है।
तब बसंत का रूप ये धरा धरती है।।
जब आमों पर मांजर का अंकुरण होता है।।
जब गेहूँ और जौ में बाली लहराती है।
तब ये धरा बसंती रुप धर इठलाती है।।
प्रेम के बीज दिलों में पनपने लगते हैं।
रंग बिरंगी तितलियों पर भंवरे मंडराने लगते हैं।।
जब सारी सृष्टि ऋतुराज का अभिनन्दन करती हैं।।
तब बसंत का रूप ये धरा धरती है।।

-Swati Solanki Shahiba

Hindi Poem by Swati Solanki Shahiba : 111662401
Swati Solanki Shahiba 3 years ago

आभार आपका

shekhar kharadi Idriya 3 years ago

अति सुंदर

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