सुर्ख होठों की हंसी में जन्नत है हमारी,
एक दिन की खुशी दे दो मन्नत है हमारी.
ए दोस्त दिल की धड़कन में तुम सजी हो,
हाथों में हाथ देकर स्पंदन बनो हमारी.
बहुत दूर रहूं फिर भी दूर नहीं तुमसे,
सांसो में सांसे डालो चाहत हो हमारी.
#मुक्तेश्वर मुकेश.

-Mukteshwar Prasad Singh

Hindi Romance by Mukteshwar Prasad Singh : 111661260

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